Red 2 फिल्म का देसी रिव्यू – जब बूढ़े नहीं थके, फिर से चले गोलियों की बरसात में!
जब बात हो हॉलीवुड की ऐसी फिल्मों की, जहाँ उम्रदराज एजेंट बुढ़ापे में भी जवानों को पछाड़ दे, तो "Red 2" का नाम सबसे ऊपर आता है। ये फिल्म उन खतरनाक बूढ़ों की टोली की कहानी है, जो रिटायर तो हो चुके हैं लेकिन मारे अभी भी जा सकते हैं और दुश्मनों को धूल चटाना इन्हें आज भी खूब आता है।
लेकिन भैया, इस फिल्म की असली जान है – इसका विलेन। और वही हम आज इस ब्लॉग में विस्तार से बताएँगे कि आखिर "Red 2" का विलेन कौन है, काहे खतरनाक है, और कैसे हीरो लोगों को नाकों चने चबवाता है।
कहानी का खाका – जब पुरानी फाइलें फिर से खुलती हैं
फ्रैंक मोसेस (Bruce Willis) अब रिटायरमेंट की लाइफ जी रहा है। प्यार मोहब्बत चल रहा है लेकिन मुसीबतें पीछे नहीं छोड़तीं। उसके पुराने साथी मार्विन (John Malkovich) को फिर से लग रहा है कि कोई उन्हें मारना चाहता है, और भाईसाब उसकी बात सही निकलती है।
एक प्रोजेक्ट है – "नाइटशेड", जो सोवियत जमाने का था। एक न्यूक्लियर बम गायब है और अब CIA, M16 और KGB सब लगे हैं पीछे। इस चक्कर में फ्रैंक और उसकी टीम फिर से दौड़ पड़ती है – दुश्मनों को पछाड़ने।
अब आते हैं असली बात पर – विलेन कौन है?
फिल्म में असली विलेन का नाम है – हैन चो-बे (Han Cho Bai)
इस रोल को निभाया है एक दमदार कोरियन एक्टर Byung-hun Lee ने। और भैया, क्या एक्टिंग करी है इसने!
हैन चो-बे – एक ऐसा कॉन्ट्रैक्ट किलर जो पहले दोस्त था, अब दुश्मन बन चुका है
फिल्म में बताया जाता है कि हैन पहले फ्रैंक का साथी था, लेकिन किसी वजह से उसे लगा कि फ्रैंक ने उसके साथ धोखा किया। अब वो बना है एक सबसे तेज, सबसे खतरनाक हत्यारा, जो दुनिया में किसी को भी चुटकियों में मार सकता है।
-
हाथों में बंदूक, पैरों में चपलता, और आंखों में नफरत।
-
हर सीन में उसकी एंट्री ऐसे होती है जैसे साइलेंट तूफान – आएगा, मारेगा, चला जाएगा।
विलेन का स्टाइल – सूट-बूट में मौत का सौदागर
अब देखो भैया, विलेन की खासियत ये है कि वो सिर्फ गोली नहीं मारता, वो खेलता है। हर बार नया तरीका निकालता है बंदा मारने का। और सबसे बड़ी बात – वो किसी के लिए काम नहीं करता, सिर्फ अपने उसूलों के लिए लड़ता है।
उसका स्टाइल एकदम जबरदस्त –
-
सूट-बूट पहनकर आता है
-
हाथ में पिस्टल
-
आँखों में बदला
-
और चाल में शेर जैसी शांति
हैन की एंट्री – सबसे तगड़ा सीन
जब पहली बार हैन को दिखाया जाता है, तो वो एक होटल में होता है। और वहीं से शुरू होता है एक्शन का रेला। बंदा ऐसे गोली चलाता है जैसे बुलेटें उसकी उंगलियों से निकल रही हों।
फ्रैंक और मार्विन दोनों मिलकर भी उससे लड़ने से डरते हैं। क्योंकि भाईसाब की चालें कंप्यूटर से भी तेज हैं।
हीरो और विलेन की टक्कर – बुड्ढों बनाम तेज़ कातिल
अब भैया असली मजा वहीं आता है, जब फ्रैंक और हैन आमने-सामने होते हैं। एक तरफ अनुभव है, तो दूसरी तरफ रफ्तार।
लेकिन मजेदार बात ये है कि हैन के अंदर भी इंसानियत बची है। एक वक्त आता है जब वो समझ जाता है कि असली गड़बड़ कौन कर रहा है – और वहीं से कहानी लेती है मोड़।
विलेन से हीरो बनने का सफर
ये फिल्म का सबसे जबरदस्त पहलू है – हैन को शुरू में विलेन दिखाया गया, लेकिन धीरे-धीरे उसकी सोच बदलती है।
-
पहले वो फ्रैंक को मारना चाहता है
-
फिर उसे सच्चाई पता चलती है
-
और आख़िर में वो उसी फ्रैंक के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ता है
भैया, ऐसा विलेन जो खुद इंसाफ के लिए लड़ने लगे – वही असली विलेन होता है, जो फिल्म को जानदार बनाता है।
क्लाइमेक्स – जब पुराना दुश्मन बना सबसे बड़ा मददगार
फिल्म के आखिर में हैन खुद उस न्यूक्लियर हथियार को रोकने में मदद करता है, जिसे वो खुद खोज रहा था।
वो दिखाता है कि भले ही वो हत्यारा है, लेकिन उसके अंदर अब भी इंसान बचा है।
और भाई, जब वो आखिरी फाइट में दुश्मनों के छक्के छुड़ाता है – तो दिल कह उठता है – “ऐसा विलेन हर फिल्म को मिले।”
निष्कर्ष 1 – Red 2 में विलेन नहीं, फिल्म की रूह है
हैन चो-बे एक आम विलेन नहीं, वो फिल्म की सबसे मजबूत कड़ी है।
-
एक तरफ उसका स्टाइल
-
दूसरी तरफ उसका स्वाभिमान
-
और तीसरी तरफ उसकी परतें – कभी दोस्त, कभी दुश्मन, और फिर दोस्त
यही फिल्म को खास बनाता है।
### **निष्कर्ष 2 – विलेन ही असली हीरो निकला!**
"Red 2" जैसी फिल्में सिर्फ एक्शन से नहीं, बल्कि अपने किरदारों से याद रखी जाती हैं। और इस फिल्म का सबसे यादगार किरदार है – **हैन चो-बे**। भले ही शुरुआत में उसे विलेन के रूप में पेश किया गया, लेकिन फिल्म जैसे-जैसे आगे बढ़ती है, हम समझते हैं कि हैन सिर्फ एक कॉन्ट्रैक्ट किलर नहीं है, वो एक उसूलों वाला आदमी है – जो अपने तरीके से जीता है, और सच सामने आते ही राह भी बदल लेता है।
हैन ने दिखा दिया कि दुश्मन से भी बड़ा दोस्त वही होता है जो वक्त आने पर आपके साथ खड़ा हो।
उसका स्टाइल, उसकी चालाकी, उसका गुस्सा और उसकी इंसानियत – सबने मिलकर उसे एक ऐसे विलेन की श्रेणी में खड़ा कर दिया जो सिर्फ मारने वाला नहीं, सोचने वाला भी है।
इसलिए भैया, **"Red 2" का विलेन कोई साधारण विलेन नहीं**, वो एक ऐसी परछाई है जो कहानी में अंधेरा लाता है और फिर खुद उजाला बनकर चमकता है।
और सच्चाई ये है कि अगर हैन जैसा किरदार ना होता, तो शायद Red 2 इतनी दमदार फिल्म ना बनती ।।
Post a Comment (0)