पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में 11 मार्च 2025 को एक गंभीर घटना घटी, जब बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) के विद्रोहियों ने जाफर एक्सप्रेस नामक यात्री ट्रेन को हाईजैक कर लिया। इस ट्रेन में लगभग 500 लोग सवार थे, जिनमें सैनिक, पुलिसकर्मी और नागरिक शामिल थे। हाईजैकर्स ने 182 लोगों को बंधक बना लिया और उनकी जान को खतरा बताते हुए पाकिस्तानी सेना से अपने बंदियों की रिहाई की मांग की।
घटना का विवरण:
जाफर एक्सप्रेस ट्रेन क्वेटा से पेशावर की ओर जा रही थी, जब बलूचिस्तान के बोलान जिले के माशकाफ इलाके में BLA के विद्रोहियों ने रेलवे ट्रैक पर विस्फोट कर ट्रेन को रोक लिया। इसके बाद, उन्होंने यात्रियों पर गोलीबारी की, जिसमें कम से कम 20 लोग मारे गए। बचे हुए यात्रियों को बंधक बना लिया गया, जिनमें से अधिकांश सैनिक और पुलिसकर्मी थे। विद्रोहियों ने धमकी दी कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो सभी बंधकों को मार दिया जाएगा।
सुरक्षा बलों की कार्रवाई:
पाकिस्तानी सेना ने तुरंत ऑपरेशन शुरू किया और 12 मार्च को 36 घंटे की मुठभेड़ के बाद विद्रोहियों को मार गिराया। इस ऑपरेशन में 33 विद्रोही मारे गए, और कई बंधकों को सुरक्षित मुक्त कराया गया। हालांकि, इस दौरान कुछ बंधकों की भी मौत हुई।
BLA का दावा:
BLA ने दावा किया कि उन्होंने सभी 214 बंधकों को मार डाला, जिनमें पाकिस्तानी सेना के जवान और अधिकारी शामिल थे। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सेना ने उनकी मांगों को नजरअंदाज किया, जिससे यह त्रासदी घटी। BLA ने यह भी आरोप लगाया कि पाकिस्तानी सेना ने मारे गए विद्रोहियों के शवों को अपनी सफलता के रूप में प्रस्तुत किया।
पाकिस्तान का आरोप:
पाकिस्तान ने इस घटना में भारत और अफगानिस्तान का हाथ होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि विद्रोहियों के अफगान हैंडलर्स और भारतीय मास्टरमाइंड्स थे। हालांकि, भारत और अफगानिस्तान ने इन आरोपों को खारिज किया है।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया:
इस घटना ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है, क्योंकि BLA ने पहले भी चीन से संबंधित परियोजनाओं को निशाना बनाया है, जो पाकिस्तान और चीन के बीच आर्थिक संबंधों को प्रभावित कर सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस घटना से बलूचिस्तान में विद्रोह की लहर और तेज हो सकती है।
निष्कर्ष:
पाकिस्तान में जाफर एक्सप्रेस ट्रेन का हाईजैक एक जटिल और दुखद घटना है, जिसने सुरक्षा, राजनीति और मानवाधिकार से जुड़े कई सवाल उठाए हैं। इसने पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियों को उजागर किया है और बलूचिस्तान में विद्रोह की जटिलताओं को सामने लाया है। आगे आने वाले समय में इस घटना के दूरगामी प्रभाव देखने को मिल सकते हैं।।
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