RBI का रेपो रेट क्या है और अभी क्यों बना है चर्चा का विषय?
भाई देख, जब अपने देश के बैंक जैसे SBI, HDFC, या PNB को पैसों की जरूरत पड़ती है, तो वो RBI से उधार लेते हैं। अब RBI भी कोई फ्री में थोड़े देता है! वो कहता है – "ले जाओ पैसा लेकिन ब्याज के साथ!" इस ब्याज को ही REPO RATE कहते हैं।
रेपो रेट कैसे काम करता है?
- अगर RBI रेपो रेट घटा देता है, तो बैंकों को सस्ता लोन मिलता है और वो आम लोगों को भी सस्ते ब्याज पर लोन देने लगते हैं।
- अगर RBI रेपो रेट बढ़ा देता है, तो बैंक महंगे ब्याज पर लोन देंगे, जिससे EMI बढ़ जाती है और खर्च घटता है।
रेपो रेट का असर किन पर पड़ता है?
इसका असर घर-कार का लोन लेने वाले से लेकर व्यापारियों और बाजार तक सब पर पड़ता है। रेपो रेट बढ़ेगा तो EMI भारी, घटेगा तो जेब को राहत।
अब बात असली मुद्दे की – अभी क्यों बना है चर्चा का विषय?
अप्रैल 2025 में RBI ने रेपो रेट को 6.50% पर ही स्थिर रखा है। यानी ना घटाया, ना बढ़ाया। लेकिन भाई, इस फैसले ने मार्केट में बहस छेड़ दी है। क्यों?
- देश में महंगाई थोड़ी कम हुई है लेकिन अभी भी खतरा टला नहीं है।
- बाजार और उद्योग वाले चाहते हैं कि RBI रेपो रेट घटाए ताकि लोन सस्ता हो जाए।
- लेकिन RBI कहता है – "भाई अभी रुक जाओ, पहले पक्के से देख लें महंगाई काबू में है या नहीं।"
देशी अंदाज में समझो
मान लो तुम दुकान चला रहे हो। ग्राहक कम हैं तो तू रेट घटा देता है, डिस्काउंट देता है। लेकिन जब भीड़ बहुत हो जाए और सामान की कमी हो तो तू रेट बढ़ा देता है – ताकि मुनाफा भी बने और भीड़ भी काबू में रहे। बस ऐसे ही RBI अपने रेपो रेट से देश की अर्थव्यवस्था की नब्ज़ संभालता है।
निष्कर्ष: रेपो रेट भले ही आम आदमी के लिए बड़ा टेक्निकल शब्द लगे, लेकिन इसका सीधा असर हमारी जेब और जिंदगी पर पड़ता है।
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