वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई: आगे क्या?


वक्फ कानून पर नवीनतम समाचार

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हालिया खबरों के अनुसार, वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 पूरे भारत में लागू हो गया है। यह अधिनियम वक्फ संपत्तियों के प्रशासन और विनियमन में महत्वपूर्ण बदलाव लाता है।

मुख्य बातें:

  • यह अधिनियम वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करता है।
  • इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण करना, विवादों का समाधान करना और निरीक्षण तंत्र में सुधार करना है।
  • अधिनियम में वक्फ बोर्डों के नियमित ऑडिट का प्रावधान है और वित्तीय कुप्रबंधन के मामलों में दंड का प्रावधान है।
  • स्थानीय वक्फ प्रबंधन समितियों की संरचना में भी बदलाव किए गए हैं, जिसमें दानकर्ता परिवारों और लाभार्थियों के प्रतिनिधित्व का प्रावधान है।
  • सरकार का मानना है कि यदि वक्फ संपत्तियों का उचित प्रबंधन किया जाए तो वे काफी राजस्व अर्जित कर सकती हैं।
  • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 5 अप्रैल, 2025 को इस विधेयक को मंजूरी दी थी (पीआईबी विज्ञप्ति)।
  • संसद के दोनों सदनों में पारित होने के बाद, यह अधिनियम 8 अप्रैल, 2025 से लागू हो गया है (इंडिया टुडे)।
  • इस अधिनियम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनकी सुनवाई अगले सप्ताह होने की संभावना है (एनडीटीवी, इंडियन एक्सप्रेस)।
  • केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट दाखिल कर आग्रह किया है कि इन याचिकाओं पर कोई भी आदेश पारित करने से पहले उसकी बात सुनी जाए (हिंदुस्तान टाइम्स)।
  • विपक्षी दलों और मुस्लिम समुदाय के कुछ वर्गों ने इस अधिनियम का विरोध किया है, इसे "मुस्लिम विरोधी" और "असंवैधानिक" बताया है।
  • समाजवादी पार्टी सहित कई राजनीतिक दलों ने भी इस अधिनियम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है (टाइम्स ऑफ इंडिया)।
  • अधिनियम में यह भी प्रावधान है कि सरकारी संपत्ति जिसे वक्फ के रूप में पहचाना गया है, वह अब सरकार की संपत्ति नहीं रहेगी और स्थानीय कलेक्टर उसका स्वामित्व निर्धारित करेगा।
  • वक्फ बोर्ड में दो गैर-मुस्लिम सदस्यों को अनिवार्य रूप से शामिल करने का भी प्रावधान है।
  • अब केवल वही व्यक्ति वक्फ के लिए संपत्ति दान कर सकता है जो कम से कम पांच वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहा हो और संपत्ति का मालिक हो।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह एक विकासशील कहानी है और आने वाले दिनों में और अधिक जानकारी सामने आ सकती है, खासकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद।

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