## **"घर में क्लेश है? तो ये देसी तंत्र घर को बना देगा स्वर्ग!
घर वो जगह होती है जहाँ **सुकून** मिलना चाहिए...
लेकिन जब हर दिन कोई ना कोई *झगड़ा*, *तानाकशी*, *उलझन* या *अशांति* हो,
तो **घर मंदिर नहीं, नर्क** बन जाता है।
अब सवाल ये है – **क्या करें?**
झगड़े से मुंह मोड़ें?
या फिर उसी क्लेश को तोड़ें, **देसी तंत्र** से!
## **समस्या की जड़: क्यों होता है घर में क्लेश?**
1. **मनमुटाव – कोई भी बात खुलकर नहीं होती।**
2. **आर्थिक तनाव – पैसे की कमी से सोच बिगड़ जाती है।**
3. **तीसरे लोग – बाहर के लोग ज़हर घोलते हैं।**
4. **ईगो टकराव – हर कोई बस खुद को सही मानता है।**
5. **नेगेटिव एनर्जी – जो दिखती नहीं, लेकिन असर करती है।**
## **अब उपाय – तंत्र नहीं, देसी ज्ञान!**
### **1. “नमक तंत्र” – नेगेटिविटी का दुश्मन**
- एक कांच की कटोरी लो
- उसमें थोड़ा सा *सेंधा नमक* भरो
- हर कमरे के कोने में रख दो (खासकर रसोई और बेडरूम में)
- हर शनिवार को नमक बदल दो और पुराने को बहा दो
> **ये नमक घर की निगेटिव ऊर्जा को खींच लेता है, जैसे चुंबक।**
### **2. “दीपक तंत्र” – रोज एक दिया जलाओ**
- हर शाम तुलसी या घर के मंदिर में
- एक मिट्टी का दीया जलाओ, उसमें थोड़ा सा लौंग और कपूर डाल दो
- दीया जलाते वक्त मन में कहो –
**“मेरे घर में प्रेम और शांति का प्रकाश फैले।”**
> ये तंत्र मन को शुद्ध करता है और झगड़ों की जड़ को जलाता है।
### **3. घर के क्लेश से लड़ना नहीं, बदलना सीखो**
- हर सदस्य को सुनो – जवाब देने से ज़्यादा असरदार है **सुनना**
- कोशिश करो कि रोज एक बार सभी लोग साथ बैठकर 5 मिनट बातें करें – चाहे खाना खाते वक्त
- मोबाइल से ध्यान हटाओ और *"घर के माहौल"* पर ध्यान दो
### **4. “नीम की पत्तियाँ और नींबू” – बुरी नज़र हटाओ**
- सोमवार और शनिवार को 7 नीम की पत्तियाँ और 1 नींबू घर के मुख्य दरवाज़े पर लटकाओ
- 7 दिन बाद बदल दो
- इस उपाय से *नज़र दोष* और *क्लेश बढ़ाने वाली शक्तियाँ* दूर रहती है
### **5. सबसे बड़ा तंत्र – माफ कर देना**
> **"माफ करना कमजोरी नहीं, सबसे बड़ा ब्रह्मास्त्र है!"**
जिस दिन आप किसी की गलती माफ कर देते हो, उसी दिन घर के क्लेश की जड़ कट जाती है।
जैसे-जैसे रिश्ते हल्के होंगे, वैसे-वैसे घर का माहौल भी सुकून वाला हो जाएगा।
## **घर वही, सोच नई – तो घर स्वर्ग बन जाएगा!**
अगर ये उपाय दिल से अपनाओगे, तो घर में **प्रेम, सम्मान, और सुख का वास** होगा।
झगड़े की आग **राख** बन जाएगी ।।
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