सहनशीलता
सहनशीलता हमारे व्यक्तित्व को आकर्षित और श्रेष्ठ बनाती है और नवीन आयामों की ओर अग्रसर करती है। इंसान की जिंदगी मै सम विषम अनुकूल प्रतिकूल परिस्थिति आती रहती है।
आज हमारे जीवन में अनुकूल परिस्थिति है तो कल प्रतिकूल भी होगी।आज हमे लगता है की सब सही है फिर भी प्रतिकूल परिस्थिति आने की संभावना बनी रहती है।
प्रतिकूल परिस्थिति में इंसान को सहनशीलता ही बचा सकती है। सहनशीलता के लिए हमारे अंदर धैर्य का होना आवश्यक हो जाता है। क्योंकि कही न कही धैर्य ही सहनशीलता का आधार है। विषम से विषम परिस्थिति कठोर से कठोर वचन प्रतिकूल से प्रतिकूल प्रभाव को अपने मन, बुद्धि ,शरीर को प्रभावित होने से रोके रख सके बो है सहनशीलता । यदि मनुष्य कठिन समय में अनुकूल प्रभाव अपने मन में पैदा कर ले सहनशील कहलाता है। आत्मा के विकास का सबसे अच्छा कारक है सहनशील होना विपरीत परिस्थिति में आत्मा का विकाससील होना आवश्यक होना उतना ही जरूरी है जितना जीने के लिए भोजन। जब सहनशीलता हमारे अंदर उत्पन्न हो जाए तो मानसिक स्थिति मै गहरा प्रभाव पड़ता है।चीजे हमे धीरे धीरे अपने अनुकूल नजर आने लगती है। सहनशील व्यक्ति मै बहुत से मजबूत गुण उत्पन्न हो जाते है धैर्य संयम क्रोध मुक्त जीवन उत्पन्न हो जाता है। यह भी सच है की भगवान का ही एक आशीर्वाद है सहनशीलता ।
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