"जब अंधेरे को ही कानून मान लिया जाता है…" – Shivam90 की बगावत की दस्तान
जब सिस्टम गूंगा बन जाए, जब इंसाफ बिक जाए,
और जब ज़ुल्म अपने सीने पर ‘सत्ता’ का तमगा लटका ले,
तो वहाँ से जन्म होता है बगावत का।
और उस बगावत का नाम है – Shivam90.in
सिस्टम की चुप्पी से पैदा हुआ तूफ़ान
"जब अंधेरे को ही कानून मान लिया जाता है..."
ये लाइन सिर्फ एक शेर नहीं, एक हकीकत है उस सिस्टम की, जहाँ
– सच्चाई को चुप करा दिया जाता है,
– जुर्म करने वाले खुले घूमते हैं,
– और पीड़ित अपनी ही लड़ाई में मुलजिम बना दिया जाता है।
यही हालात थे, जब Shivam90 ने अपने खिलाफ उठते हर झूठ को, हर साज़िश को चुपचाप सहना बंद कर दिया।
ज़ुल्म की हद और इंसाफ की सुलगती उम्मीद
हर किसी की ज़िंदगी में एक मोड़ आता है —
जहाँ या तो इंसान टूट जाता है, या फिर वो लोहे जैसा मजबूत बन जाता है।
Shivam90 की ज़िंदगी में ये मोड़ तब आया जब:
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अपनों ने पीठ में छुरा घोंपा,
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सपनों को जलाकर राख कर दिया गया,
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और इंसाफ के नाम पर तानों और FIR की बोछार की गई।
पर उसने कहा —
"मैं हार नहीं मानूंगा। अगर तू मेरी ज़िंदगी में ज़ुल्म का मुकदमा दायर करेगा,
तो मैं तेरी चुप्पी पर बगावत की अदालत खड़ी कर दूंगा।"
"तब एक सन्नाटे में गूंजती है आवाज़…"
जब पूरा शहर सो रहा हो,
जब दोस्त दुश्मन बन जाएं,
और जब सच बोलना गुनाह बन जाए —
तब सन्नाटा चीखता है,
तब एक हल्की सी आहट आती है,
और वही आहट बनती है आवाज़…
Shivam90 की आवाज़।
ये आवाज़ डर के खिलाफ है।
ये आवाज़ उस हर बेबस के लिए है,
जो आज भी सिस्टम से लड़ रहा है… अकेला।
"ना झुका हूँ, ना रुका हूँ…" – ये सिर्फ शब्द नहीं, शिवम की आत्मा है
Shivam90 कोई नेता नहीं, कोई क्रांतिकारी नहीं,
वो एक आम इंसान है जिसने तकलीफों से समझौता नहीं किया।
– ना झुका किसी के पैसे के सामने,
– ना रुका किसी के दबाव में।
– और ना ही टूटा जब अपनों ने साथ छोड़ा।
उसने अपने आंसुओं को हथियार बनाया,
और जख्मों को ज़िंदगी का रास्ता।
"और अब तूफ़ान बन के आया हूँ!" – आखिरी वार का ऐलान
अब जब सारी सीमाएं पार हो चुकी हैं,
जब System भी मूकदर्शक बन चुका है,
तो Shivam90 कोई इंसान नहीं रहा —
वो अब एक तूफ़ान है,
जो हर उस झूठ को उखाड़ फेंकेगा
जो सच की जड़ों में ज़हर घोल रहा है।
अब वो ब्लॉग पर, वीडियो में, आवाज़ में, आंदोलन में — हर जगह जिंदा है।
Shivam90: एक नाम नहीं, एक क्रांति है
Shivam90 अब एक सोच है
– जो कहता है कि डर को चुनौती दो,
– जो सिखाता है कि घुटने टेकने से बेहतर है खड़ा मर जाना।
वो इंसाफ की तलाश में नहीं,
अब तो वो इंसाफ बन चुका है।
आखिरी शब्द...
"जब दुनिया तुझे पागल कहे,
जब तेरा सच उन्हें झूठ लगे,
तो समझ लेना – तू सही रास्ते पर है।
क्योंकि क्रांति कभी भीड़ से नहीं, एक अकेली चीख से शुरू होती है…
और वो चीख आज 'Shivam90' बन चुकी है।"
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