"शादी, शरीर और सच्चा प्यार: जब मुझे राकेश की अहमियत समझ आई"




क्या शादी सिर्फ शरीर के लिए होती है? एक सच्ची कहानी जो सोचने पर मजबूर कर देगी

"शादी होती है तो संभोग होना लाज़मी है।"

यही सोच बस गई है हमारे समाज में।
लड़के शादी करते हैं क्योंकि उन्हें लड़की चाहिए – एक शरीर चाहिए, एक साथी चाहिए बिस्तर के लिए।
लेकिन क्या वाकई यही सच है?

अगर गहराई से देखा जाए, तो शादी सिर्फ शारीरिक रिश्ता नहीं, बल्कि आत्मा से आत्मा का बंधन है।
एक ऐसा रिश्ता जो वक़्त के साथ मजबूत होता है, बस ज़रूरत है समझदारी और कदर की।


कहानी – राकेश और सीमा की

मेरी शादी को 6 साल हो चुके थे।
राकेश, मेरे पति, एक साधारण से इंसान थे। बैंक में नौकरी करते थे, दिनभर काम करते और शाम को थककर घर लौटते। न कोई बड़ी बातें, न कोई शौक, बस एक साधारण ज़िंदगी।

पर शायद मुझे यह साधारणता ही खलती थी।

मैं अक्सर सोचती,
"काश मेरी शादी किसी ऐसे इंसान से होती, जो थोड़ा रोमांटिक होता, जो मेरी तारीफ करता, जो मुझे घुमाने ले जाता।"
राकेश तो जैसे मशीन थे – सुबह उठो, ऑफिस जाओ, शाम को आओ, खाना खाओ और सो जाओ।
जब भी वह पास आते, तो लगता कि उन्हें सिर्फ मेरा शरीर चाहिए।

मैंने उन्हें कभी समझा ही नहीं।

छोटी-छोटी बातों पर झगड़ती, कभी ताने मारती, कभी शिकायतें करती।
वह कुछ कहते तो मुझे उनकी बातें पुराने जमाने की लगतीं।
कहते, "ये कपड़े मत पहनो बाहर, लोग गलत नजर से देखते हैं।"
मैं कहती – "तुम्हारी सोच ही गंदी है।"

पर एक दिन ऐसा आया जिसने मेरी ज़िंदगी बदल दी।


वो सुबह

एक सामान्य सुबह थी।
राकेश जल्दी उठे, तैयार हुए।
मैंने बिना देखे ही ताना मारा –
"ऑफिस जाते वक्त सब्ज़ी लेते आना, हर बार भूल जाते हो।"

वह मुस्कराए, कुछ नहीं बोले और चले गए।

शाम को लौटे ही नहीं।

ऑफिस जाते वक़्त सड़क हादसे में उनकी मौत हो गई।
पुलिस घर आई, तो लगा जैसे किसी ने मेरे सीने पर पत्थर रख दिया हो।
मैं चीखी, चिल्लाई, रोई… पर कोई सुनने वाला नहीं था।


जो बातें बेमतलब लगती थीं, आज वही सबसे खास बन गईं।

राकेश ने मेरे और बच्चों के नाम पर 1 करोड़ का बीमा लिया था।
रिश्तेदारों ने कहा –
"देखो, कितना सोचकर गया है। तुम्हारा भविष्य सुरक्षित कर दिया।"

पर मेरे लिए वो 1 करोड़ बेकार था।
क्या उससे उनकी हँसी खरीद सकती थी?
क्या मैं उससे वो आवाज़ खरीद सकती थी जो हर शाम पूछती थी – "कुछ चाहिए क्या?"

अब जब सुबह उठती हूं, तो चाय का कप खाली होता है।
अब कोई नहीं कहता – "थोड़ा आराम कर लो, मैं बना देता हूं।"


अब सोचती हूं, क्या वाकई मर्द को सिर्फ शरीर चाहिए?

नहीं भाई।

राकेश को सिर्फ मेरा शरीर नहीं चाहिए था,
उन्हें मेरी मुस्कान चाहिए थी,
मेरा साथ चाहिए था,
एक ऐसा घर चाहिए था जहां वो थक कर लौटे और सुकून मिले।

लेकिन मैं नहीं समझी।

आज जब वो नहीं हैं, तब समझ में आता है –
प्यार सिर्फ बिस्तर का रिश्ता नहीं होता।
प्यार वो होता है जब कोई तुम्हारे लिए दिनभर मेहनत करता है,
ताकि तुम मुस्करा सको,
जब कोई हर महीने तुम्हारे लिए साड़ी लाता है और कहता है – "तेरी हँसी के लिए सब कुर्बान है।"


समाज की सच्चाई

आज के ज़माने में बहुत सी लड़कियां शादी को एक डील समझती हैं –
"अगर लड़का पैसेवाला हो, दिखने में अच्छा हो, घूमने ले जाए, तो ही शादी करूंगी।"
पर असली पति वो होता है जो
तेरे हर दर्द को अपना बना ले।

और लड़कों को भी ये समझना होगा कि
शादी का मतलब सिर्फ सेक्स नहीं होता,
बल्कि एक ऐसा रिश्ता होता है जिसमें दोनों को एक-दूसरे को समझना होता है,
सम्मान देना होता है।


एक आख़िरी बात

अब जब राकेश नहीं हैं,
हर छोटी-छोटी बात जो मुझे पहले बोझ लगती थी,
अब सबसे बड़ी कमी बन गई है।

अब कोई टोकने वाला नहीं है,
अब कोई पूछने वाला नहीं है – "क्या हुआ, आज चुप क्यों है?"

काश, मैंने पहले समझा होता।
काश, मैंने उस साधारण इंसान की कीमत समय रहते पहचान ली होती।


नतीजा

शादी सिर्फ शारीरिक संबंध नहीं, बल्कि एक समझदारी का रिश्ता है।
जहां अगर तुम थोड़ा सब्र रखो, थोड़ा कदर करो,
तो ज़िंदगी बहुत खूबसूरत हो जाती है।

रिश्तों को निभाना आता हो, तो हर साधारण मर्द भी राजा बन जाता है
और हर आम औरत महारानी।


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यह कहानी Quara से ली गई है ।।

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