PM मोदी का मालदीव दौरा: चीन की घेरेबंदी या हिंद महासागर की फिर से बिसात?
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PM मोदी का मालदीव दौरा: हिन्द महासागर में भारत की नई चाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मालदीव दौरा केवल एक कूटनीतिक यात्रा नहीं था, बल्कि ये दौरा पूरे दक्षिण एशिया और विशेष रूप से हिन्द महासागर क्षेत्र में भारत की मजबूत उपस्थिति का प्रतीक बन गया है। इस दौरे में भारत ने साफ संकेत दिया कि अब वो पीछे हटने वालों में से नहीं, बल्कि पड़ोसी देशों के आंतरिक और बाहरी फैसलों पर नजर रखता है और जरूरत पड़े तो हस्तक्षेप भी कर सकता है।
मालदीव: चीन की गोदी से भारत की बाहों में
मालदीव में नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू का रुख शुरू से ही भारत विरोधी था। उन्होंने सत्ता में आते ही भारतीय सेना को बाहर निकालने की बात कही थी। लेकिन मोदी के इस दौरे के बाद साफ हो गया कि भारत की बात टाली नहीं जा सकती। अब मालदीव की सरकार ने एक बार फिर भारत से सहयोग की पहल की है, जो ये बताता है कि मोदी की डिप्लोमेसी कितनी प्रभावशाली है।
भारत-मालदीव रिश्तों में आई गरमी अब ठंडी पड़ रही?
हाल के महीनों में भारत और मालदीव के रिश्तों में खटास देखने को मिली थी। राष्ट्रपति मुइज्जू के बयान, चीन के साथ बढ़ती नजदीकियां और भारत विरोधी सोशल मीडिया कैंपेन इन सब ने रिश्तों को कमजोर किया था। लेकिन पीएम मोदी ने अपनी रणनीति से ये दिखा दिया कि भारत अपने पड़ोसियों को यूं ही जाने नहीं देगा। मालदीव में अब एक बार फिर भारत के प्रोजेक्ट्स पर तेजी से काम शुरू हो रहा है।
डिफेंस और इंफ्रास्ट्रक्चर: भारत का असली गेम
मोदी सरकार केवल भाषण नहीं देती, जमीन पर काम करती है। इस दौरे में भारत ने मालदीव को डिफेंस इक्विपमेंट, हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर और टेक्नोलॉजी सेक्टर में सहयोग का भरोसा दिया। इसका मतलब साफ है – भारत अब केवल दोस्ती की बात नहीं करता, बल्कि निवेश और निर्माण से रिश्तों को मजबूत करता है।
भारत की विदेश नीति में मोदी मॉडल
मोदी का मालदीव दौरा इस बात का प्रमाण है कि भारत अब “गैर-हस्तक्षेप” की नीति से हट चुका है। अब भारत अपने पड़ोसी देशों की नीतियों और गतिविधियों पर पैनी नजर रखता है और अगर देशहित में जरूरी हो तो दखल देने से भी नहीं हिचकता। मोदी की विदेश नीति आक्रामक तो है, पर संतुलित भी है – यही वजह है कि आज भारत की बात दुनियाभर में सुनी जाती है।
नतीजा क्या निकला?
मालदीव की जनता और सरकार दोनों ने अब समझ लिया है कि भारत का साथ छोड़ना महंगा सौदा है। चीन से नजदीकी उन्हें नुकसान पहुंचा सकती है। वहीं भारत का साथ उन्हें सुरक्षा, विकास और स्थिरता दे सकता है। मोदी का दौरा केवल राजनीतिक नहीं था, यह एक संदेश था – "भारत की सीमाएं केवल जमीन पर नहीं, बल्कि समुद्र में भी मजबूत हैं।"
मोदी की यह यात्रा एक मजबूत संदेश है उन सभी देशों के लिए जो भारत के कद को छोटा समझते हैं।
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