पत्नी चाहती है तलाक समझ लो बात बरना प्रोबलेम हो जाएगी ।।।
वूडी एलन ने स्त्री पुरुष के संबंध की तुलना शार्क से की है। वे कहते हैं कि शार्क की ही तरह किसी रिश्ते को भी आगे बढ़ते रहना चाहिए, नहीं तो उसके दम तोड़ने की गुंजाइश है। उनके इस कथन में दम है। यह विचार आजकल के जन मानस के लिए उपयोगी साबित हो सकता है, क्योंकि अब अरेंज्ड मैरिज की जगह प्रेम विवाहों की बढ़ रही है। पर इस सबके बीच कुछ प्रेम ऐसे होते हैं, जो विवाह तक नहीं पहुंच पाते और ब्रेकअप का शिकार हो जाते हैं। ज्यादातर मामलों में इन ब्रेकअप्स की वजह बहुत छोटी होती है।, लेकिन उस वक्त प्रेम में आकंठ डूबे प्रेमियों को वही छोटी वजहें बहुत बड़ी नजर आती हैं और नतीजा होता है ब्रेकअप। लेकिन प्रेमी जोड़ा कुछ समय के लिए उन वजहों को अंदाज करके किसी शार्क की तरह आगे बढ़ता जाए और उस संबंध को विवाह तक ले जाए तो इस बात की बहुत संभावना है कि फिर वे कभी अलग न हों। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है विवाह के साथ पैकेज के रूप में आई समझदारी और सहनशीलता। इसका एक दूसरा कारण भी है कि विवाह किसी भी अफेयर से बड़ा संबंध होता है। हम किसी छोटे-बड़े कारण के चलते अफेयर को ब्रेकअप में बदल सकते हैं, लेकिन उन्हीं कारणों के चलते विवाह को तलाक में बदलने से पहले कई बार सोचते हैं। हर इंसान अपने संबंध को बचाने के लिए जी-जान लगाता है और समय के साथ विवाहित पुरुष-स्त्री जानने लगते हैं कि संबंध इतना कमजोर नहीं होता, जो छोटे छोटे झगड़ों की भेंट चढ़ जाए, लेकिन यह समझने के लिए सहनशीलता चाहिए और वह आती है विवाह के बाद ही। प्रेम की धुरी पर घूमता है, संबंधों का चक्का विवाह संबंध इंसान को परिपक्व बनाता है। आपको अपने आसपास कई वर्गो के कई लोग यह कहते मिल जाएंगे कि जो प्रेम-संबंध उन्होंने विवाह के बाद महसूस किया, वह पहले कभी महसूस नहीं किया। नोबेल पुरस्कार विजेता ब्रिटिश लेखक हैरॉल्ड पिंटर अपनी पत्नी के लिए लिखते हैं, मर गया था और जिंदा हूं मैं तुमने पकड़ा मेरा हाथ, अंधाधुंध मर गया था मैं तुमने पकड़ लिया मेरा हाथ तुमने मेरा मरना देखा और मेरा जीवन देख लिया तुम ही मेरा जीवन थीं, जब मैं मर गया था तुम ही मेरा जीवन हो और इसीलिए मैं जीवित हूं.. ऐसी बात अपनी पत्नी से गहन प्रेम संबंध के बाद ही किसी लेखक की कलम से निकल सकती है। कुछ ऐसा ही प्रेम-संबंध इमरोज ने अमृता प्रीतम के लिए महसूस किया। वह अपने संस्मरण में कहते हैं, ‘कोई भी रिश्ता बांधने से नहीं बंधता। प्रेम का मतलब होता है एक-दूसरे को पूरी तरह जानना, एक-दूसरे के जज्बात की कद्र करना और एक-दूसरे के लिए फना होने का जज्बा रखना। अमृता और मेरे बीच यही रिश्ता रहा। पूरे 41 बरस तक हम साथ साथ रहे। इस दौरान हमारे बीच कभी किसी तरह की कोई तकरार नहीं हुई। यहां तक कि किसी बात को लेकर हम कभी एक-दूसरे से नाराज भी नहीं हुए।’ इमरोज आगे कहते हैं कि ‘अमृता के जीवन में एक छोटे अरसे के लिए साहिर लुधियानवी भी आए, लेकिन वह एकतरफा मोहबत का मामला था। अमृता साहिर को चाहती थी, लेकिन साहिर फक्कड़ मिजाज था। अगर साहिर चाहता तो अमृता उसे ही मिलती, लेकिन साहिर ने कभी इस बारे में संजीदगी दिखाई ही नहीं। एक बार अमृता ने हंसकर मुझसे कहा था कि अगर मुझे साहिर मिल जाता तो फिर तू न मिल पाता। इस पर मैंने कहा था कि मैं तो तुझे मिलता ही मिलता, भले ही तुझे साहिर के घर नमाज अदा करते हुए ढूंढ़ लेता। मैंने और अमृता ने 39 वर्ष तक साथ रहते हुए एक-दूसरे की प्रेजेंस एंजॉय की। हम दोनों ने खूबसूरत ज़िन्दगी जी। दोनों में किसी को किसी से कोई शिकवा-शिकायत नहीं रही। मेरा तो कभी ईश्वर या पुनर्जन्म में भरोसा नहीं रहा, लेकिन अमृता का खूब रहा है और उसने मेरे लिए लिखी अपनी आखिरी कविता में कहा है — मैं तुम्हें फिर मिलूंगी। अमृता की बात पर तो मैं भरोसा कर ही सकता हूं।’
संबंधों का सागर विशाल है। एक कुशल और अच्छा नाविक वही है, जो इस सागर में अपनी नाव तमाम हिचकोलों के बावजूद पार ले जाकर माने और वो जब भी इस सागर में डुबकी लगाए तो संबंधों का सबसे कीमती मोती ही निकालकर लाए। न केवल निकाले, बल्कि उसे सहेज कर भी रख सके, उसकी हिफाजत करे, उसका सम्मान करे।
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