अपने लक्ष्यों को गुप्त रखें: चाणक्य नीति के अनुसार सफलता का राज




अपने लक्ष्यों को गुप्त रखें: सफलता में बाधा डालने वालों से बचें (चाणक्य नीति अनुसार)

आज के समय में जब हर कोई सोशल मीडिया पर अपनी जिंदगी का पूरा खाका दिखा रहा है, वहां चुप रहना एक कला है। आचार्य चाणक्य ने सदियों पहले एक बहुत बड़ी बात कही थी —

“अपने उद्देश्यों (लक्ष्यों) को तब तक गुप्त रखो जब तक वह सफल न हो जाए।”

और भाई, ये बात मैंने खुद की जिंदगी में अनुभव की है। जब भी मैंने अपने प्लान किसी को पहले बता दिए, या अपने सपने लोगों से शेयर किए – या तो उन्होंने मज़ाक उड़ाया या रुकावट डाली। लेकिन जब चुपचाप मेहनत की, बिना बताए आगे बढ़ा, तो ना कोई टोका, ना कोई रोका – और काम भी बन गया।

क्यों कहते हैं चुप रहो?

क्योंकि दुनिया में सबको तुम्हारी सफलता से खुशी नहीं होती। कुछ ऐसे लोग होते हैं जो तुम्हारे साथ हंसते हैं, लेकिन मन ही मन जलते हैं।
चाणक्य कहते हैं –

“बुद्धिमान व्यक्ति वही है जो अपने कार्यों की योजना दूसरों को बताए बिना करे।”

मेरा एक दोस्त था – बड़ा अच्छा बिजनेस आइडिया था उसके पास। लेकिन उसने प्लान सबको बता दिया। क्या हुआ? किसी और ने वही आइडिया पहले शुरू कर दिया और उसका सपना वहीं दब गया।

गांव की कहावत – “नाक कटवाए बिना बरात ना निकालो”

गांव के बड़े-बुजुर्ग कहते हैं – जब तक बारात ना निकल जाए, ढोल मत बजाओ। क्योंकि अगर बीच रास्ते में दूल्हा ही भाग गया तो?
ऐसे ही अपने प्लान सबको बताना, बिना पूरा किए ढोल बजाने जैसा है। और आजकल तो लोग तुम्हारे मुंह पर हां करेंगे और पीठ पीछे तुम्हारी बुराई – और कुछ तो जलेबी की तरह मीठा बोल के कांटा भी चुभा देंगे।

ऊर्जा बर्बाद होती है

जब हम बार-बार अपने प्लान सबको बताते हैं, तो दिमाग की एनर्जी वहां ही खत्म हो जाती है। और लोग सलाह के नाम पर डराने भी लगते हैं – “अरे इतना बड़ा रिस्क क्यों ले रहे हो?”, “तेरा क्या होगा?”, “फेल हो गया तो?”
ये सब बातें तुम्हारा जोश कम कर देती हैं।

चुप रहो, काम करो, और कामयाबी से खुद बोलने दो।

मेरे हिसाब से…

भाई, मेरे हिसाब से तो काम से जवाब दो, बातों से नहीं।
मैंने जब अपनी फैक्ट्री दोबारा शुरू की, किसी को नहीं बताया। सबको लगा खत्म हो गया हूं। लेकिन जब दोबारा माल बाजार में आया, सबके मुंह बंद हो गए। और तब एहसास हुआ कि चुप रह कर किया गया काम सबसे शुद्ध होता है।

सफलता के दुश्मन कौन हैं?

  • ईर्ष्या करने वाले रिश्तेदार

  • जलने वाले दोस्त

  • ताने मारने वाले पड़ोसी

  • और खुद अपने डर

इन सबसे बचना है तो अपने लक्ष्य को सीने में रखो, किसी डायरी में लिख लो, लेकिन सबके सामने मत उगलो।

निष्कर्ष (Conclusion):

चाणक्य नीति कोई किताबों की बातें नहीं, ये आज भी उतनी ही सच्ची है।
अगर तुम सच में कामयाब होना चाहते हो, तो एक बात गांठ बांध लो —

“जब तक तीर निशाने पर ना लग जाए, तब तक कमान से निकला ही मत दिखाओ।”

काम करो, प्रार्थना करो, और चुप रहो। जब वक्त आएगा, लोग खुद पूछेंगे – "भाई, तूने ये सब कैसे किया?"

और तब जवाब सिर्फ एक होगा –
"ध्यान काम में था, बातों में नहीं।"


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