धैर्य का फल मीठा होता है: हर कार्य में जल्दबाजी हानिकारक है




धैर्य का फल मीठा होता है: हर कार्य में जल्दबाजी हानिकारक है (चाणक्य नीति अनुसार)

आजकल के जमाने में हर कोई चाहता है कि बस सब कुछ झटपट हो जाए – पैसा, इज्जत, प्यार, कामयाबी… सब एक बटन दबाते ही मिल जाए। लेकिन मेरे भाई, जिंदगी कोई इंस्टैंट नूडल नहीं है। यहां हर चीज़ वक्त लेती है और जो धैर्य रखता है, वही असली खिलाड़ी होता है

चाणक्य नीति में लिखा है –

"धैर्यं सर्वत्र साधनम्"
(अर्थ: हर काम में धैर्य ही सबसे बड़ा साधन है।)

ये बात मैंने अपने जीवन में खुद महसूस की है। एक समय ऐसा आया जब धंधा डूब रहा था, लोग ताने मारते थे, रिश्तेदार मुंह फेर लेते थे। लेकिन मैंने हार नहीं मानी। धैर्य रखा, मेहनत करता रहा, और आज खुद का मालिक हूँ। अगर उस वक्त जल्दबाजी में गलत फैसले ले लेता, तो शायद आज ये मुकाम नहीं मिलता।

जल्दबाजी में बर्बादी होती है

जल्दबाजी में किया गया काम अक्सर नुकसान देता है। जैसे अगर किसान बीज बोने के दूसरे दिन ही खेत में जाकर फसल काटने लगे, तो क्या होगा? कुछ भी नहीं उगेगा। ऐसे ही जिंदगी में भी धैर्य रखना जरूरी है। चाणक्य कहते हैं –

"जो मनुष्य हर समय हड़बड़ी में रहता है, वह अपने ही बनाए जाल में फंस जाता है।"

गांव में एक कहावत है – “धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय; माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आये फल होय।”
यानी चाहे जितना पानी डाल लो, फल तब ही आएगा जब उसका समय आएगा।

धैर्य से बनते हैं बड़े काम

कोई भी बड़ा आदमी उठा लो – धैर्य उसकी सफलता की जड़ में मिलेगा। चाहे वो व्यापारी हो, राजा हो या साधु। चाणक्य खुद एक ब्राह्मण थे, लेकिन उन्होंने तक्षशिला से लेकर मगध तक की राजनीति को हिला कर रख दिया – और ये सब एक दिन में नहीं हुआ। उन्होंने सालों तक योजना बनाई, मेहनत की, और फिर चंद्रगुप्त को सम्राट बनाया।

धैर्य रखने वाला व्यक्ति कभी हारता नहीं है। चाहे दुनिया उसका मज़ाक उड़ाए, उसे पागल कहे, वो चुपचाप अपने रास्ते पर चलता रहता है – और एक दिन वही लोग उसके आगे सलाम करते हैं।

मेरे हिसाब से…

भाई, मेरे हिसाब से धैर्य कोई कमजोरी नहीं, बल्कि सबसे बड़ी ताकत है। मैंने खुद देखा है – जो लोग धैर्य नहीं रखते, वो छोटी-छोटी बातों में टूट जाते हैं। रिश्ते बिगाड़ लेते हैं, काम खराब कर बैठते हैं, और बाद में पछताते हैं। लेकिन तब तक समय हाथ से निकल चुका होता है।

मेरे गांव में एक बुजुर्ग कहते थे – “जिसने धैर्य सीख लिया, उसने जीवन जीत लिया।”

निष्कर्ष (Conclusion):

धैर्य कोई किताबों की बात नहीं, ये जिंदगी की असली कला है। चाणक्य नीति हमें सिखाती है कि जल्दबाजी नुकसान देती है और धैर्य ही इंसान को बड़ा बनाता है। तो चाहे हालात कितने भी खराब हों, वक्त लग रहा हो, लेकिन धैर्य मत छोड़ो। क्योंकि…

“धैर्य का फल मीठा होता है – और जब मीठा होता है ना भाई, तो सब कुछ भुला देता है।”


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