वाणी का महत्व: सोच-समझकर बोलें, शब्द तीर से भी घातक हो सकते हैं (चाणक्य नीति के अनुसार)
हमारे जीवन में वाणी का बहुत बड़ा महत्व है। एक अच्छा शब्द किसी का जीवन संवार सकता है और एक कटु वचन किसी का जीवन बर्बाद भी कर सकता है। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति में स्पष्ट कहा है कि "मीठी वाणी बोलना एक तपस्या के समान है।" जो व्यक्ति अपनी वाणी पर नियंत्रण रखता है, वो दुनिया का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति बन सकता है।
मैंने खुद देखा है कि कई बार लोग जुबान से ऐसा कुछ बोल जाते हैं, जो सामने वाले के दिल को छलनी कर देता है। और जब तक उन्हें समझ आता है, तब तक देर हो चुकी होती है। मेरे गांव में एक कहावत है – “घाव तलवार का भर जाता है, पर शब्दों का नहीं।”
चाणक्य कहते हैं –
"सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात्, न ब्रूयात् सत्यमप्रियं। प्रियं च नानृतं ब्रूयात्, एष धर्मः सनातनः।"
(अर्थात: सत्य बोलो, लेकिन प्रिय और मधुर बोलो। ऐसा सत्य मत बोलो जो सामने वाले को कटु लगे। और प्रिय बोलो, लेकिन झूठ न बोलो – यही सनातन धर्म है।)
अब सोचिए, ये कितनी गहरी बात है। आज के समय में जब लोग बिना सोचे समझे बोलते हैं, गुस्से में आकर रिश्ते तोड़ देते हैं, तब चाणक्य की ये नीति और भी जरूरी हो जाती है।
वाणी से बनते हैं या बिगड़ते हैं रिश्ते
एक बार मेरे एक साथी ने मज़ाक में कुछ ऐसा बोल दिया जो मुझे चुभ गया। मैंने उस दिन तो कुछ नहीं कहा, लेकिन दिल के अंदर एक गांठ सी बन गई। कई बार ऐसा होता है कि बोलने वाला भूल जाता है, लेकिन सुनने वाला जिंदगी भर याद रखता है।
चाणक्य नीति में कहा गया है कि –
"जो व्यक्ति अपनी वाणी से दूसरों को आहत करता है, वह धीरे-धीरे अपने ही रिश्तों को खत्म करता है और एक दिन अकेला रह जाता है।"
इसलिए चाहे गुस्सा हो, जलन हो या ईर्ष्या – जुबान पर नियंत्रण ज़रूरी है। नहीं तो आप सब कुछ खो सकते हैं।
मीठी वाणी: सफलता की कुंजी
चाणक्य का मानना था कि जो व्यक्ति मीठा बोलता है, वही समाज में मान-सम्मान पाता है। मीठी वाणी से शत्रु भी मित्र बन जाता है और कटु वाणी से मित्र भी शत्रु बन जाता है।
मेरे हिसाब से, चाहे आप बिजनेस में हों या साधारण जीवन में, बोलचाल ही आपकी पहचान है। मैंने अपने धंधे में खुद देखा है – जब मैं ग्राहक से नरम आवाज़ में बात करता हूँ, तो वही ग्राहक बार-बार आता है। और अगर गलती से भी तमतमा जाऊँ, तो वो अगली बार नहीं दिखता।
वाणी पर नियंत्रण: राजा की पहचान
चाणक्य नीति में यह भी लिखा है कि एक राजा वही होता है जो वाणी पर नियंत्रण रखता है। अगर राजा ही कटु बोलने लगे तो प्रजा विद्रोह कर देती है। यही बात आम इंसान पर भी लागू होती है। घर का मुखिया अगर गुस्सैल हो, तो घर का वातावरण खराब हो जाता है।
इसलिए, वाणी का उपयोग सोच-समझकर करना चाहिए। जब जुबान से निकले शब्द तीर की तरह निकल जाएँ, तो उन्हें वापस नहीं लाया जा सकता। इसीलिए कहा गया है –
“शब्द बाण से भी तेज होते हैं, और दिल पर सीधा वार करते हैं।”
निष्कर्ष: वाणी से ही आपकी पहचान है
भाई, सीधी बात ये है कि वाणी वो औजार है जो या तो आपको राजा बना सकता है या रंक। इसीलिए चाणक्य ने हमेशा वाणी पर संयम रखने की सलाह दी। सोच-समझकर बोलो, क्योंकि जुबान से निकला हुआ शब्द कभी वापस नहीं आता – और यही शब्द आपके रिश्तों, सफलता, और समाज में सम्मान की नींव बनाते हैं।
“कम बोलो लेकिन सोच-समझकर बोलो, तभी दुनिया तुम्हारी सुनेगी।”
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