शनि की साढ़ेसाती: जानिए लक्षण, तकलीफ़ और पुराने जमाने के अचूक उपाय
साढ़ेसाती यानी वो समय जब शनि देव आपकी कुंडली में सबसे गंभीर परीक्षा लेते हैं। ये समय 7.5 साल का होता है, पर असर ऐसा कि राजा को रंक और रंक को राजा बना देता है।
क्या होती है साढ़ेसाती?
जब शनि देव चंद्रमा के पहले, ऊपर और बाद के घरों में गोचर करते हैं, तब साढ़ेसाती लगती है। ये तीन चरणों में आती है – शुरुआत, मध्य और अंत।
साढ़ेसाती के लक्षण (Symptoms)
- काम में बार-बार रुकावट
- घर में कलह और तनाव
- स्वास्थ्य गिरना – खासकर घुटनों, हड्डियों की तकलीफ़
- आत्मविश्वास में गिरावट
- अचानक धन हानि
- सपनों में डर, भूत, या श्मशान दिखाई देना
पुराने जमाने के देसी उपाय
हमारे दादी-नानी के ज़माने में कुछ ऐसे उपाय थे जो सच्चे मन से करने पर साढ़ेसाती के असर को कम कर देते थे:
- सरसों के तेल का दान: शनिवार को काले कपड़े पहनकर तेल दान करें।
- काली उड़द की दाल और लोहे का दान: पुराने जमाने में लोहे के कटोरे में दाल भरकर शनि मंदिर में रखा जाता था।
- शनि चालिसा और हनुमान चालीसा का पाठ: हनुमान जी को शनि से मित्र माना जाता है।
- पिपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाना: शनिवार की शाम, खासतौर पर अमावस्या को।
- भैरव बाबा की आराधना: खासकर काले कुत्ते को रोटी खिलाना।
आधुनिक समय में क्या करें?
आज के टाइम में मेहनत, धैर्य और सेवा भावना ही सबसे बड़ा उपाय है। शनि देव न्याय के देवता हैं, जो कर्म के हिसाब से फल देते हैं।
- कर्म सुधारें, आलस त्यागें
- बुजुर्गों और गरीबों की सेवा करें
- सच्चाई और ईमानदारी से जीवन जीएं
- मन को शांत करने के लिए योग, ध्यान और मंत्र जाप करें
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निष्कर्ष:
साढ़ेसाती डराने वाली नहीं है, बल्कि चेतावनी है – जीवन सुधारने की। अगर सच्चे मन से मेहनत और सेवा करें, तो यही साढ़ेसाती जीवन का सबसे बड़ा वरदान बन जाती है।
जय शनिदेव!
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