विंग कमांडर व्योमिका सिंह: बुलंद हौसलों की मिसाल
स्रोत: Live Hindustan
शुरुआती जीवन और शिक्षा
व्योमिका सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। उनके पिता सरकारी सेवा में थे और माँ एक शिक्षिका थीं। बचपन से ही उनमें अनुशासन, आत्मनिर्भरता और नेतृत्व के गुण दिखाई देते थे।
उनकी प्रारंभिक शिक्षा सेंट एंथनी सीनियर सेकेंडरी स्कूल, दिल्ली में हुई। यहीं पर उन्होंने NCC जॉइन किया और सेना में जाने की उनकी इच्छा ने स्पष्ट आकार लेना शुरू किया।
NCC के तहत उन्होंने कई कैम्प, मार्च पास्ट और ट्रेकिंग अभियानों में भाग लिया, जिससे उनमें नेतृत्व क्षमता और संकट प्रबंधन का कौशल विकसित हुआ।
इसके बाद उन्होंने दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी से एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की। यहाँ उन्होंने प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग और रिसर्च में भी भाग लिया।
वायुसेना में अद्वितीय प्रवेश
18 दिसंबर 2004 को उन्हें भारतीय वायुसेना में बतौर हेलीकॉप्टर पायलट कमीशन किया गया। यह दिन उनकी ज़िंदगी का सबसे बड़ा मोड़ था।
उन्होंने Chetak और Cheetah जैसे उन्नत हेलीकॉप्टरों को उड़ाया और अब तक 2500+ घंटे की सफल उड़ान पूरी कर चुकी हैं।
उन्होंने लेह-लद्दाख, सियाचिन और उत्तर-पूर्वी सीमाओं पर कई जटिल अभियानों में भाग लिया है। उनकी सटीक नेविगेशन, निर्भीक निर्णय क्षमता और टीम नेतृत्व को वायुसेना में बहुत सम्मान मिला है।
ऑपरेशन सिंदूर: एक ऐतिहासिक मोड़
7 मई 2025 को भारत द्वारा किए गए ऑपरेशन सिंदूर में, व्योमिका सिंह ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इस ऑपरेशन का उद्देश्य सीमाई क्षेत्रों में दुश्मन की गतिविधियों को निष्क्रिय करना और मानवीय राहत पहुंचाना था।
व्योमिका सिंह ने इस मिशन की मीडिया ब्रीफिंग में कर्नल सोफिया कुरैशी और विदेश सचिव विक्रम मिस्री के साथ संयुक्त रूप से भाग लिया।
उन्होंने हेलीकॉप्टर ऑपरेशन के रणनीतिक पहलुओं और महिला अधिकारियों की बढ़ती भागीदारी पर जोर देते हुए देश को गौरव से भर दिया।
पारिवारिक जीवन: सेवा और समर्पण का संगम
व्योमिका के पति विंग कमांडर दिनेश सिंह सभरवाल भी वायुसेना में कार्यरत हैं। यह जोड़ा भारत की सुरक्षा में दोहरी भूमिका निभा रहा है।
उनकी बड़ी बहन भूमिका सिंह यूनाइटेड किंगडम में एक वैज्ञानिक हैं, जो जलवायु परिवर्तन पर शोध कर रही हैं। परिवार के हर सदस्य ने राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दिया है।
शिक्षक की भविष्यवाणी और प्रेरणा
व्योमिका की हिंदी शिक्षिका नीलम वासन ने एक बार उनकी डायरी में लिखा था — “तुम व्योम छूने के लिए बनी हो।” वर्षों बाद जब व्योमिका भारतीय वायुसेना में विंग कमांडर बनीं, यह पंक्तियाँ सार्थक हो उठीं।
उनके पुराने साथी बताते हैं कि वह हमेशा ‘कर सकती हूं’ वाला रवैया रखती थीं — चाहे पढ़ाई हो या स्पोर्ट्स।
सम्मान और पुरस्कार
उन्हें ‘सर्वश्रेष्ठ महिला पायलट’ का खिताब 2018 में दिया गया। इसके अलावा, यूनाइटेड नेशंस पीस मिशन में भी उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया है।
2024 में उन्हें राष्ट्रपति द्वारा शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया।
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देखिए: व्योमिका सिंह के माता-पिता से जानिए उनकी प्रेरणादायक कहानी
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निष्कर्ष
व्योमिका सिंह सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि एक विचार हैं — कि बेटियाँ चाहें तो आसमान भी छोटा पड़ सकता है। उन्होंने न सिर्फ उड़ान भरी, बल्कि अपनी उड़ान से हजारों लड़कियों को प्रेरणा दी कि सपने सिर्फ देखे नहीं जाते, पूरे भी किए जाते हैं।
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