अखिलेश यादव के भाई प्रतीक यादव पर रंगदारी का मामला: एक सरल विश्लेषण

लखनऊ में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के भाई प्रतीक यादव ने एक गंभीर शिकायत दर्ज कराई है। इस मामले में उन्हें धमकी दी गई और उनसे करोड़ों रुपये की रंगदारी मांगी गई है। यह घटना राजनीतिक और कानूनी दोनों ही दृष्टियों से महत्वपूर्ण है।आज का दौर ऐसा हो गया है इंसान के अंदर बेइमानी का पेड़ बहुत अच्छे से फल फूल रहा है पैसा ही सब हो गया है लोग तो अब नजदीकियों से डरने लगेगे पहले लोग नजदीक आते है फिर बेइमानी के शिखर पर जाते है।यह घटना भी कुछ ऐसे ही खुलासे करती है चलिए घटना को समझते है।।
मामला क्या है?
प्रतीक यादव ने लखनऊ के गौतमपल्ली थाने में एक एफआईआर (FIR) दर्ज कराई है। उन्होंने चिनहट निवासी कृष्णानंद पांडेय, उनकी पत्नी वंदना पांडेय और पिता अशोक कुमार पांडेय पर आरोप लगाए हैं। प्रतीक यादव का कहना है कि इन लोगों ने उनसे ₹4 से ₹5 करोड़ रुपये की रंगदारी मांगी है और न देने पर उन्हें झूठे कानूनी मामलों में फंसाने की धमकी भी दी है।
- **शिकायतकर्ता:** प्रतीक यादव ( पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के भाई है)।
- **आरोपी:** कृष्णानंद पांडेय, वंदना पांडेय, और अशोक कुमार पांडेय नाम दर्ज fir की गई।
- **आरोप:** करोड़ों रुपये की रंगदारी और गंभीर कानूनों (जैसे POCSO एक्ट) में फंसाने तथा फर्जी ऑडियो वायरल करने की धमकी देने जैसे आरोप लगाए गए है ।
- **एफआईआर दर्ज:** लखनऊ के गौतमपल्ली थाने में fir दर्ज कराई गई।
घटना की वजह क्या है?
प्रतीक यादव और उनकी पत्नी अपर्णा यादव जो भाजपा से जुड़ी है उनके के अनुसार, इस मामले की जड़ व्यावसायिक संबंधों में है आइए समझते है:
- **परिचय और व्यावसायिक जुड़ाव:** साल 2011-12 के आसपास प्रतीक यादव की मुलाकात कृष्णानंद पांडेय से हुई थी, जिसने खुद को एक रियल एस्टेट कारोबारी बताया। कुछ समय बाद, प्रतीक यादव एक कंपनी 'यूएस विस्ट' या 'मोनल इंफ्राटेक' में प्रमोटर बने, जिसमें कृष्णानंद पांडेय भी शामिल थे सीधा सवाल दोस्ती पक्की हो चुकी थी।
- **वित्तीय लेन-देन:** प्रतीक यादव ने कंपनी में निवेश किया था। इसके अलावा, कृष्णानंद ने व्यक्तिगत ज़रूरतों का हवाला देते हुए प्रतीक से करोड़ों रुपये उधार भी लिए थे भाई दोस्ती मै पैसा देना आम बात हो जाती है।
- **पैसे वापस मांगने पर धमकी:** जब प्रतीक यादव ने कृष्णानंद से अपने पैसे वापस मांगे, तो कृष्णानंद ने उन्हें धमकाना शुरू कर दिया। अब मामला दुश्मनी की तरफ चला गया और आरोप है कि उन्हें POCSO एक्ट जैसे गंभीर कानूनों में फंसाने और फर्जी ऑडियो क्लिप वायरल करने की धमकी दी गई। इसके साथ ही, ₹4 से ₹5 करोड़ की रंगदारी की मांग की गई।
- **व्यक्तिगत संकट का फायदा:** प्रतीक यादव ने अपनी शिकायत में यह भी बताया है कि 2020 में उन्हें कोविड हुआ था, और 2022 में उनके माता-पिता और मामा का निधन हो गया था। इस दौरान उनकी व्यक्तिगत कमजोरी का फायदा उठाकर कृष्णानंद ने उन पर और पैसे देने का दबाव बनाया।
पुलिस की भूमिका और आधिकारिक बयान
इस मामले में लखनऊ के गौतमपल्ली थाने में एफआईआर दर्ज कर ली गई है और पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। पुलिस इस मामले की गंभीरता को देखते हुए सभी पहलुओं पर गौर कर रही है।
उत्तर प्रदेश पुलिस का आधिकारिक बयान: अभी तक हमें उत्तर प्रदेश पुलिस की आधिकारिक वेबसाइट पर इस विशिष्ट घटना से संबंधित कोई सीधा प्रेस बयान या विस्तृत जानकारी नहीं मिली है। यदि कोई आधिकारिक बयान आता है, तो हम आपको निश्चित रूप से अपडेट देंगे। विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स (जैसे आजतक, टाइम्स ऑफ इंडिया) ने एफआईआर दर्ज होने और पुलिस द्वारा जांच शुरू किए जाने की पुष्टि की है।
यह मामला एक आपराधिक कृत्य है, जिसके पीछे व्यावसायिक विवाद और ब्लैकमेलिंग की मंशा प्रतीत होती है। चूंकि प्रतीक यादव एक राजनीतिक परिवार से संबंध रखते हैं, इसलिए इस मामले पर सबकी नजर रहेगी। पुलिस की जांच से ही इस पूरी घटना की सच्चाई सामने आ पाएगी।
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