जमीन की रजिस्ट्री के नियम बदल गए – अब कुछ मामलों में रजिस्ट्री हो जाएगी कैंसिल
रिपोर्ट: News Shivam90.in डेस्क | लोकेशन: भारत | #Shivam90
देश में जमीन खरीद-बिक्री हमेशा से बड़ा निवेश माना जाता है, लेकिन कागज़ी प्रक्रिया में छोटी-सी गलती भी आगे चलकर भारी पड़ जाती है। इसी को देखते हुए सरकार ने रजिस्ट्री सिस्टम को और सख्त और पारदर्शी बनाने के लिए नए नियम लागू किए हैं। आसान भाषा में समझें तो अब ऐसी जमीन, जिस पर पहले से कोई सरकारी दावा, अधिग्रहण, योजना या कोर्ट-कचहरी का विवाद लंबित है, उसकी रजिस्ट्री सीधे रद्द की जा सकती है। उद्देश्य साफ़ है—खरीदार की सुरक्षा और फर्जीवाड़े पर नकेल।
पहले यह होता था कि कई जगहों पर ग्राम सभा/सरकारी खाते की जमीन, परियोजना के लिए चिन्हित जमीन या अधिग्रहण की सूचना लगी जमीन को भी निजी जमीन बताकर बेच दिया जाता था। बेचने वाले दलाल कागज़ों की गोल-माल में खरीदार को उलझा देते थे। सालों बाद जब मामला खुलता तो रजिस्ट्री होने के बावजूद खरीदार को कब्ज़ा नहीं मिलता और दौड़-भाग शुरू। नए नियमों का मकसद यही गड़बड़ी शुरुआत में पकड़ लेना है, ताकि बेकार की मुकदमेबाजी से लोग बचें।
अब रजिस्ट्रेशन से पहले तहसील, राजस्व और रजिस्ट्रार ऑफिस के रिकॉर्ड का डिजिटल मिलान अनिवार्य है। संबंधित विभाग यह देखेंगे कि जमीन कहीं मास्टर प्लान, ग्रीन जोन, परियोजना, पार्क, सड़क चौड़ीकरण, या किसी सामाजिक/सरकारी योजना के दायरे में तो नहीं आती। अगर आती है, तो रजिस्ट्री रोकी जाएगी और कारण लिखित में बताए जाएंगे।
सबसे ज़्यादा सवाल अधिग्रहण वाली जमीन पर उठते हैं। बहुत से केसों में मुआवजा स्वीकृत हो चुका होता है, पर जमीन मालिक ने कब्ज़ा दिया नहीं—ऐसी स्थिति में भी बिक्री वैध नहीं मानी जाएगी। इसी तरह किसी भी स्तर का कोर्ट स्टे या लंबित वाद हो तो रजिस्ट्री नहीं होगी। ग्राम-सभा/सरकारी जमीन, चारागाह, नाला, तालाब जैसी सार्वजनिक संपत्ति पर तो सीधा प्रतिबंध रहेगा।
खरीदार के लिए इसका सीधा मतलब है—पहले पड़ताल, फिर पेमेंट। खसरा-खतौनी, जमाबंदी, नकल, नक्शा, बाउंड्री, भू-उपयोग और मालिकाना हक का मिलान कराएँ। रजिस्ट्री से पूर्व NOC ज़रूर लें और जहां संभव हो, RTI/ऑनलाइन पोर्टल से विभागीय स्थिति निकाल लें। अगर जमीन शहरी सीमा में है तो विकास प्राधिकरण/नगर निकाय की मंजूरियाँ भी देखें।
बिक्री करने वालों के लिए भी नियम साफ हैं। पुराना बंधक, बैंक लोन, कुर्की, रसीद-बकाया, सीमांकन विवाद—सबका खुला खुलासा करना होगा। झूठी जानकारी देने पर रजिस्ट्री रद्द होने के साथ दंड और केस भी बन सकता है।
मार्केट पर असर की बात करें तो शुरुआती दिनों में प्रक्रिया थोड़ी लंबी लग सकती है, पर लंबी अवधि में इसका फायदा ही होगा। साफ कागज़ों वाली प्रॉपर्टी की वैल्यू बढ़ेगी, जबकि संदिग्ध जमीन का खेल बंद होगा। रियल एस्टेट सेक्टर में भरोसा बढ़ेगा और खरीदार का रिस्क घटेगा—आखिरकार यहीं लक्ष्य है।
अगर आपने हाल में जमीन खरीदी है और शंका है कि कहीं वह इन श्रेणियों में तो नहीं आती, तो तुरंत अपने दस्तावेज़ों का वैरीफिकेशन करा लें। संबंधित कार्यालय से लिखित स्थिति लेकर रखें। कोई आपत्ति निकलती है तो कानूनी सलाह लेकर समाधान का रास्ता चुनें—कई मामलों में रिफंड/रद्दीकरण की प्रक्रिया भी उपलब्ध रहती है।
साफ सलाह (देसी अंदाज़): सौदा पक्का करने से पहले साइट पर जाकर जमीन देखो, पड़ोसियों से पूछताछ करो, सीमांकन पट्टी देखो, बाउंड्री नाप कराओ, और जो भी कागज़ दिखें—उनकी कॉपी लेकर घर लाओ; उसी दिन साइन मत करो। दो-दिन बैठकर मिलान कर लो, फिर भुगतान करो।
कुल मिलाकर, नए नियम आम लोगों के हित में हैं। रजिस्ट्री तभी जब जमीन क्लियर हो—यही फॉर्मूला आगे चलकर धोखाधड़ी घटाएगा और करोड़ों की मेहनत की कमाई सुरक्षित रखेगा।
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✍️ लेखक: शिवम सोनी
Shivam90.in के संस्थापक और ब्लॉगर, जो हर जीवन मुद्दे को देसी अंदाज में पेश करते हैं।
📅 प्रकाशित: 14 अगस्त 2025
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