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"आधार और राशन कार्ड से नागरिकता साबित नहीं हो सकती: सुप्रीम कोर्ट"

Shivam soni
"सुप्रीम कोर्ट का फैसला - आधार और राशन कार्ड से नागरिकता साबित नहीं हो सकती"

आधार और राशन कार्ड से नागरिकता साबित नहीं हो सकती: सुप्रीम कोर्ट

लेबल: सुप्रीम कोर्ट, आधार कार्ड, नागरिकता, चुनाव आयोग, बिहार

देश की सर्वोच्च अदालत ने सोमवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया कि आधार कार्ड और राशन कार्ड किसी व्यक्ति की नागरिकता का निर्णायक सबूत नहीं हो सकते। बिहार में मतदाता सूची को लेकर उठे विवाद के बीच यह निर्णय आया, जिसमें आरोप लगाए गए थे कि बड़ी संख्या में ऐसे नाम सूची में शामिल हैं जिनकी नागरिकता संदिग्ध है या जिन्हें सरकारी रिकॉर्ड में मृत दिखाया गया है।

अदालत ने कहा कि नागरिकता तय करना एक गंभीर मुद्दा है और इसे केवल एक-दो दस्तावेज़ों के आधार पर नहीं निपटाया जा सकता। आधार कार्ड मुख्य रूप से पहचान और सरकारी योजनाओं के लाभ के लिए है, जबकि राशन कार्ड खाद्यान्न वितरण प्रणाली से जुड़ा है। ये दोनों दस्तावेज़ गैर-नागरिकों के पास भी हो सकते हैं, इसलिए इन्हें अंतिम प्रमाण मानना संविधान के खिलाफ होगा।

राजनीतिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव ने अदालत में ऐसे लोगों को पेश किया जिन्हें मतदाता सूची में मृत घोषित कर दिया गया था, लेकिन वे जिंदा थे। जज ने उनके तर्क को सराहते हुए कहा कि यह दिखाता है कि मतदाता सूची की जांच कितनी सतर्कता से होनी चाहिए।

वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने भी अदालत में जोरदार बहस की और कहा कि 2003 की मतदाता सूची में शामिल 65 लाख संदिग्ध नामों की जांच नहीं की गई। उन्होंने कहा कि केवल आधार और राशन कार्ड पर भरोसा करना चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचा सकता है।

ऐसे ही मामलों के बारे में पढ़ें: आधार और राशन कार्ड से नागरिकता साबित नहीं हो सकती - सुप्रीम कोर्ट | लिव-इन में नाबालिग मां बनी, युवक ने की आत्महत्या

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को मतदाता सूची की सटीकता सुनिश्चित करने और नए मानदंड तय करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि लोकतंत्र की मजबूती के लिए मतदाता सूची का सही और सटीक होना अनिवार्य है।

कांग्रेस ने इस मुद्दे पर जोरदार प्रदर्शन किया। प्रियंका गांधी ने मिन्ना देवी का उदाहरण देते हुए बताया कि उन्हें मतदाता सूची में 124 साल का दिखाया गया, जबकि उनकी असली उम्र केवल 35 साल है। उन्होंने आरोप लगाया कि मतदाता सूची में गंभीर गड़बड़ियां हैं और अगर इन्हें सुधारा नहीं गया तो लोकतंत्र पर खतरा मंडरा सकता है।

यह फैसला न केवल बिहार बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल है कि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और ईमानदारी सबसे ऊपर है।

✍️ लेखक: शिवम सोनी

Shivam90.in के संस्थापक और ब्लॉगर, जो हर जीवन मुद्दे को देसी अंदाज में पेश करते हैं।

📅 प्रकाशित: 14 अगस्त 2025

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Founder, Shivam90.in | Desi Digital Journalist

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