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"मोदी को हटाने का प्लान फेज-1 फ्लॉप | विपक्ष की एकता टूटी, जनता अब भी मोदी के साथ"

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मोदी को हटाने का प्लान फेज-1 फ्लॉप: विपक्ष की रणनीति बिखरी, जनता अब भी मोदी के साथ?



नई दिल्ली, अक्टूबर 2025: राजनीति में हर मौसम के अपने रंग देखने को मिलते हैं, और इस वक्त देश में सबसे बड़ा मुद्दा यही है — “मोदी को हटाने का प्लान फेज-1” जो पूरी तरह फुस्स हो गया है। विपक्ष के तमाम बड़े दावे किए , मीटिंग्स और गठबंधन की कोशिशें की लेकिन इस बार भी नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के आगे टिक नहीं पाईं। सवाल अब यह उठ रहा है कि क्या देश में विपक्ष सच में तैयार है या फिर यह सिर्फ़ बयानबाज़ी की राजनीति है?

👉 विपक्ष का ‘मोदी हटाओ मिशन’ कैसे शुरू हुआ?

दोस्तो आपको याद ही होगा 2025 की शुरुआत में कई विपक्षी दलों ने मिलकर एक योजना बनाई थी — जिसका नाम रखा गया “मोदी हटाओ प्लान”। इसमें कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, और कई क्षेत्रीय दल एक साथ आए। लक्ष्य था — 2029 के लोकसभा चुनाव से पहले मोदी की पकड़ कमजोर करना। पहला फेज़ था डिजिटल और जनमत स्तर पर माहौल बनाना — “#ModiHatao2025” जैसे हैशटैग चलाए गए, सोशल मीडिया पर ट्रेंड कराया गया कि जनता बदलाव चाहती है। पर भाई, जनता ने उतनी गर्मजोशी नहीं दिखाई जितनी विपक्ष को उम्मीद थी।

👉 क्यों फेल हुआ ‘फेज-1’?

दरअसल, प्लान की सबसे बड़ी कमजोरी थी — स्पष्ट चेहरा और एजेंडा का अभाव। लोगों से जब पूछा गया कि अगर मोदी नहीं तो कौन? अपने एक गाना तो सुना ही होगा "मै नहीं तो कौन बे" 😁तो कोई ठोस जवाब नहीं मिला। विपक्ष ने सिर्फ़ मोदी विरोध को ही एजेंडा बनाया, पर देश की जनता अब सिर्फ़ विरोध नहीं, समाधान चाहती है। मोदी के खिलाफ प्रचार तो हुआ, लेकिन कोई वैकल्पिक विजन जनता के सामने नहीं आया। यानी जनता ने कहा — "भाई, हटाना है तो कोई पक्का विकल्प तो लाओ!"

👉 जनता का मूड क्या कहता है?

देश के कई राज्यों में हुए उपचुनावों और स्थानीय निकाय चुनावों में बीजेपी ने फिर बढ़त बनाई। यूपी, मध्य प्रदेश, गुजरात और बिहार में जनता ने फिर भरोसा जताया मोदी और बीजेपी पर। वहीं विपक्षी दलों की अपनी-अपनी अंदरूनी खींचतान सामने आई। कहीं सीट बंटवारे को लेकर झगड़ा, कहीं नेतृत्व पर मतभेद — जिससे यह साफ हो गया कि एकता केवल मंच पर दिखी, ज़मीन पर नहीं।

👉 सोशल मीडिया का खेल और “ट्रेंड पॉलिटिक्स”

आज के दौर में चुनाव सिर्फ़ रैलियों से नहीं, बल्कि ट्रेंड से भी लड़े जाते हैं। पर “#ModiHatao2025” जैसा हैशटैग दो दिन चला और गायब हो गया। कारण — जनता को असली मुद्दों से जोड़ नहीं पाया गया। लोगों ने कहा — "ट्रेंड से देश नहीं चलता, ट्रैक रिकॉर्ड से चलता है!" यानी मोदी के दस साल के कामकाज के सामने विपक्ष के पास कुछ ठोस मुद्दे नहीं थे।

👉 अंदर की बातें: विपक्ष के खेमे में घमासान

कांग्रेस चाहती थी कि गठबंधन का चेहरा राहुल गांधी बनें, जबकि ममता बनर्जी और केजरीवाल इस पर राज़ी नहीं हुए। तेजस्वी यादव और अखिलेश यादव भी अपने-अपने राज्यों में ‘मुख्य चेहरा’ बनना चाहते थे। नतीजा — “एकता” सिर्फ़ मीडिया में दिखाई दी, मीटिंगों में नहीं। कई नेताओं ने माना कि जब तक ‘वन फेस, वन मिशन’ की रणनीति नहीं बनेगी, मोदी को हराना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन होगा।

👉 बीजेपी की रणनीति और मोदी फैक्टर

दूसरी तरफ बीजेपी ने बिल्कुल चुपचाप “ग्राउंड कनेक्ट प्रोग्राम” शुरू किया — जिसमें हर जिले में कार्यकर्ता सीधे जनता से मिले। मोदी ने डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म्स पर फिर से संवाद बढ़ाया, “मन की बात” जैसी योजनाएँ और मजबूत हुईं। यानी जब विपक्ष भाषण दे रहा था, मोदी फिर से लोगों के बीच जाकर सुन रहे थे। यही फर्क विपक्ष समझ नहीं पाया।

👉 विपक्ष की गलती: केवल विरोध की राजनीति

राजनीति में सिर्फ़ विरोध से कुछ नहीं होता, विकल्प दिखाना पड़ता है। मोदी के विरोध में खड़ा हर गठबंधन जब “एंटी-मोदी” के नारे पर सिमट गया, तो जनता ने कहा — “ये सिर्फ़ विरोध नहीं, बवाल है।” यानी लोग परिवर्तन चाहते हैं, पर अस्थिरता नहीं।

👉 क्या फेज-2 में कुछ बदलेगा?

विपक्ष के नेता अब फेज़-2 की बात कर रहे हैं, जहाँ राज्यों में “जनसंवाद यात्रा” निकाली जाएगी, और एक साझा आर्थिक एजेंडा पेश किया जाएगा। लेकिन अब तक जनता के मूड को देखकर यही कहा जा सकता है कि अगर विपक्ष ने इस बार भी सही चेहरा नहीं चुना तो मोदी का 2029 तक का रास्ता और आसान हो जाएगा।

👉 राजनीतिक विश्लेषण: मोदी हटाओ प्लान अब कहाँ खड़ा है?

राजनीतिक जानकारों का कहना है — फेज़-1 का असफल होना कोई हैरानी की बात नहीं, क्योंकि विपक्ष के पास रणनीतिक टीमवर्क की कमी है। देश में बदलाव तभी संभव है जब जनता के सामने मजबूत नीति और नेता दोनों हों। मोदी को हटाने की बात करने से पहले देश को बेहतर चलाने की योजना दिखानी होगी।

👉 निष्कर्ष:

तो भाई, इतना तो साफ़ है — “मोदी हटाओ प्लान फेज़-1” जनता के दिल तक नहीं पहुँच पाया। मोदी की लोकप्रियता भले 100% न हो, पर उनके विरोधियों की एकता तो 50% भी नहीं है। यानी विपक्ष को अब “मोदी हटाओ” नहीं, बल्कि “देश बनाओ” एजेंडा लेकर आना होगा। वरना आने वाले चुनावों में जनता फिर वही कहेगी — “विकल्प नहीं, भरोसा चाहिए।”

आपका क्या कहना है? क्या विपक्ष अगला राउंड जीत पाएगा या फिर मोदी एक बार फिर राजनीतिक खेल के बादशाह साबित होंगे? कमेंट में बताओ भाई, और वीडियो पसंद आया हो तो शेयर करना मत भूलना। जय हिंद 🇮🇳 #ModiHataoPlan #Modi2029 #PoliticalAnalysis #IndianPolitics #Shivam90News

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Shivam Soni
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