नवनीत राणा का बयान, बागेश्वर धाम और समाज की सच्चाई – मेरे अनुभब के साथ
बीजेपी नेता और पूर्व सांसद नवनीत राणा ने हाल ही में बागेश्वर धाम सरकार के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद दिया गया उनका बयान पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया।
नवनीत राणा ने कहा कि अगर मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद बनी तो वह एक लाख राम नाम की ईंट लेकर जाएंगी। इसके साथ ही उन्होंने एक मौलाना के बयान का ज़िक्र करते हुए कहा – “वो बोलता है कि उसकी 4 बीवियां और 19 बच्चे हैं, तो मैं हर हिंदू का आव्हान करूंगी, अगर वो 19 कर सकते हैं तो हमें तो 4 करने चाहिए।”
बयान के पीछे की भावना
ये सिर्फ एक राजनीतिक बयान नहीं है, बल्कि उस गुस्से और डर की आवाज़ है जो आम हिंदू समाज के भीतर धीरे-धीरे पनप रहा है। मैंने गांव, कस्बे और शहर – तीनों जगह का माहौल देखा है। आज भी आम आदमी धर्म की नहीं, रोटी-कपड़ा और बच्चों के भविष्य की लड़ाई लड़ रहा है।
लेकिन जब बार-बार संख्या, वर्चस्व और ताकत की बातें सामने आती हैं, तो समाज का संतुलन बिगड़ता है और ऐसे बयान जन्म लेते हैं।
संख्या नहीं, समझ ज़रूरी
चार शादी और उन्नीस बच्चे किसी ताकत का प्रतीक नहीं हैं। बड़बोला पन है ये सीधा बताता है कि समाज का एक हिस्सा आज भी शिक्षा और जिम्मेदारी से दूर नहीं बहुत दूर है। अगर जवाब में हम भी वही रास्ता अपनाने की बात करें, तो फर्क क्या रह जाएगा 👍💂?
हिंदू समाज की असली ताकत
मेरे अनुभब से कहूं तो भाई हिंदू समाज की असली ताकत संख्या तो बिल्कुल नहीं है , बल्कि हमें मिली वेद पुराण से शिक्षा, संस्कार और संयम है। राम नाम ईंट में नहीं, राम नाम इंसान के चरित्र में होना चाहिए एक कहावत है राम ने किया बो करो कृष्ण ने जो बोला बो करो!
नेताओं से सवाल
नेता बयान दें नेता का अधिकार होता है भाई ,नेता आवाज़ उठाएं – ये ठीक है। लेकिन क्या वो ये भी बताएंगे कि हमारे देश की बेरोज़गारी, शिक्षा और भविष्य की दिशा क्या होगी? अगर सिर्फ बयान से समाधान हो जाता, तो देश कब का बदल चुका होता यार।
अंतिम बात
नवनीत राणा का बयान गुस्से और डर से उपजा है, लेकिन समाधान भावनाओं में नहीं, समझ और संतुलन में है। अगर देश को मजबूत बनाना है, तो सोच को मजबूत बनाना होगा भाई।

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